Interview : मेरठ में ममता सिंघल का नाम किसी से अछूता नहीं है। वरिष्ठ समाज सेविका के रूप में पहचान बना चुकीं ममता सिंघल हर वक्त जरूरतमंदों की सेवा में खड़ी नजर आती हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से एक प्रयास हमारा नाम से संगठन चला रही हैं। इनके प्रयास से संगठन में 100 से अधिक महिलाएं निस्वार्थ भाव से अपनी मासिक बचत से निर्धन और जरुरतमंद लोगों की सेवा कर रही हैं। इसके अलावा ममता सिंघल करीब 10 अन्य संगठनों/ संस्थाओं में उच्च पदों पर रहकर मार्गदर्शन दे रही हैं।
जीवन परिचय
ब्रहमपुरी मेरठ के लाला जगदीश प्रसाद के परिवार में जन्मी ममता की मां बचपन में ही गुजर गयी थी। पिता से ही माता और पिता दोनों का प्यार मिला। समाजसेवा पिता से विरासत में मिली थी। पिता के साथ अनाथ आश्रम जाना, गरीब कन्याओं के विवाह कराने में बचपन से शामिल रहीं।
जैसे जैसे बड़ी हुई वैसे समाज सेवा की तरफ कदम बढ़ते गये। विवाह के बाद कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर समाजसेवा में संलग्न रहीं। इसी बीच समाजसेवा के बडे़ कार्यों के लिए फंड की समस्या आयी। मन में आया कि क्यों ने अपनी ही तरह की महिलाओं को जोड़कर संगठन बनाया जाए। कुछ ही दिन में कुछ महिलाओं को लेकर एक प्रयास हमारा के नाम से संस्था का गठन किया। कारवां बढ़ता गया, लोग जुड़ते गये। आज एक प्रयास हमारा में सौ से ज्यादा महिलाएं हैं जो केवल अपने बचाए पैसे से समाजसेवा के कार्य कर रही हैं।
एक प्रयास हमारा के कार्य
– 100 से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी। इसी कड़ी में राशन वितरण, दवा वितरण, डॉक्टरी सहायता उपलब्ध करायी।
-हर माह विभिन्न वृद्ध आश्रम, कुष्ठ आश्रम, निराश्रित बच्चों के पास जाकर उनके साथ समय बिताना, उनको जरूरत का सामान उपलब्ध कराना
– 1000 से अधिक निर्धन बच्चों को आवश्यकतानुसार स्टेशनरी, यूनिफार्म और सर्दी के कपडे़ उपलब्ध कराए।
– निर्धन कन्याओं की शादी में घरेलू जरूरत का सामान उपलब्ध कराया
– सड़क पर शिविर लगाकर भंडारा, शीतल पेय वितरण
– समाज को रक्तदान के लिए प्रेरित और जरूरतमंदों के लिए रक्त का इंतजाम कराना
– समाजहित के लिए एक पौधा देश के नाम पौधरोपण अभियान
समाजसेवा क्यों
मैं अपने को सफल तभी मानूंगी जब हमारे साथ शहर की हर वह महिला मिलकर काम करेगी जो सक्षम हो। निचला तबका के नाम से संबोधित होने वाला शब्द न हो, बल्कि हमारा लक्ष्य हो, जरुरतमंद वर्ग को अपने साथ खड़ा करना। मैंने समाजसेवा कभी पुरस्कार के लिए की ही नहीं।
ममता बेबाकी से कहती हैं आधुनिक भारत हो प्राचीन भारत, सरकारें कितना भी प्रयास कर लें, लेकिन आम आदमी तक न तो योजनाओं का लाभ पहुंचता है और न बीच की कड़ी पहुंचने देती है। सरकारी योजनाओं के भरोसे हम अपने नैतिक और मानवीय पहलू को नहीं भूल सकते। समाज की दुर्दशा देखकर ही मेरे मन में समाज सेवा का भाव आया। समाज सेवा करना सभी मनुष्यों का नैतिक उत्तरदायित्व है। अपना नैतिक कर्तव्य समझते हुए मानव को यह कार्य करना चाहिए।