chandrayaan-3 update : रूस का अंतरिक्ष यान Luna – 25 चंद्रमा की सतह से उतरने से एक दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। रूस की तरिक्ष एजेंसी के अनुसार मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया। उधर, भारत का चंद्रयान 3 ने लैडिंग के लिए एक और चुनौती पार कर ली। ISRO ने रविवार को कहा कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के ‘लैंडर मॉड्यूल’ (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, और इसके अब 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। ISRO ने कहा कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। पहले 5 बजे के बाद का समय दिया गया था।
लैडिंग का होगा लाइव प्रसारण
ISRO ने X पर रविवार तड़के एक पोस्ट में कहा, दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है। मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करेगा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है। इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का TV पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और DD नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा।
ISRO ने कहा चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐतिहासिक क्षण है जो न केवल उत्सुकता बढ़ाएगा, बल्कि हमारे युवाओं के मन में अन्वेषण की भावना भी उत्पन्न करेगा। इसरो ने कहा कि इसके आलोक में देश भर में सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों और शिक्षकों के बीच इसे सक्रियता से प्रचारित करने के लिए आमंत्रित किया गया है, तथा चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का परिसरों में सीधा प्रसारण आयोजित किया जाएगा।
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद बृहस्पतिवार को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे। ISRO के सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हुए लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए डीबूस्ट से गुजारा जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा।
उस दौरान, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश की जाएगी। चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके। इससे पहले,14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया।
जानें क्यों हुआ रूसी अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार उसका मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया। एजेंसी ने एक बयान में कहा, लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराने के परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त हो गया। इसने कहा कि यान में चंद्रमा पर उतरने से पहले की कक्षा में भेजने के बाद समस्या आई और शनिवार को उससे संपर्क टूट गया।
रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार इस महीने की शुरुआत में अपना चंद्र मिशन भेजा था। यान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आने से पहले रोसकॉसमॉस ने शनिवार को जानकारी दी कि ‘असमान्य परिस्थिति’ उत्पन्न हो गई है और विशेषज्ञ समस्या का विश्लेषण कर रहे हैं। रोसकॉसमॉस ने टेलीग्राम पोस्ट में कहा अभियान के दौरान स्वचालित स्टेशन पर असमान्य परिस्थिति उत्पन्न हुई जिसकी वजह से विशिष्ट मानकों के अनुसार मार्ग में तय बदलाव नहीं किया जा सका।’’ इस अंतरिक्ष यान को सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इसकी प्रतिस्पर्धा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 से थी जिसे 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना है।
दक्षिणी ध्रुव को लेकर विशेष जिज्ञासा
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं।
ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे। भारत और रूस दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने की होड़ में थे। रूस का यान अब दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है और भारत के लोगों को 23 अगस्त को इस दौड़ में अपने देश के सफल होने की उम्मीद है। वर्ष 2019 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का पिछला भारतीय प्रयास तब असफल हो गया था जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रूस ने 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था।