सरकार ने कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए शनिवार को प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्याज पर पहली बार निर्यात शुल्क लगाया गया है। प्याज का खुदरा बिक्री मूल्य शनिवार को दिल्ली में 37 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। वित्त मंत्रालय ने एक सीमा शुल्क अधिसूचना के जरिए 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया। चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया है।
इस साल पहली बार लगा शुल्क
मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि आगामी त्योहारी सत्र को देखते हुए घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाने का फैसला किया है। सिंह ने कहा, ”यह भी देखा जा रहा है कि हाल के दिनों में निर्यात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।” सरकार ने इससे पहले प्याज के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए हमेशा न्यूनतम निर्यात मूल्य का इस्तेमाल किया था। हालांकि, इस साल पहली बार निर्यात शुल्क लगाया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत खुदरा कीमत शनिवार को 30.72 रुपये प्रति किलोग्राम थी। यह कीमत अधिकतम कीमत 63 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम कीमत 10 रुपये प्रति किलोग्राम थी। आंकड़ों के मुताबिक प्याज का भाव दिल्ली में शनिवार को 37 रुपये प्रति किलोग्राम था।
रकबा घटने से बढ़ रही कीमतें
चालू खरीफ सत्र में प्याज का रकबा घटने की खबरों के बीच प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं। सरकार ने इस साल तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए रखा है। उसने पिछले सप्ताह से थोक बाजार में प्रमुख स्थानों पर इसका निपटान शुरू कर दिया है। सचिव ने कहा कि अब तक दिल्ली, असम, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की थोक मंडियों में 2,000 टन बफर प्याज बेचा जा चुका है। बफर प्याज का उपयोग आमतौर पर अगस्त और सितंबर से लेकर अक्टूबर में नयी फसल के आऩे तक किया जाता है। प्याज हमेशा राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह प्रतिबंध महत्वपूर्ण है।