Chandrayaan-3 update : ISRO के चंद्रमा दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहे Chandrayaan-3 का सोमवार को Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से स्वागत किया। इसरो ने एक्स पर प्रेषित किये संदेश में कहा कि दोनों के बीच संचार स्थापित हो गया है। उन्होंने कहा, Chandrayaan-3 मिशन: आपका स्वागत है, दोस्त। Chandrayaan-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से Chandrayaan-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच संचार स्थापित हो गया है।
मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) के पास अब लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने के लिए अधिक मार्ग हैं। उन्होंने कहा कि भारत के दूसरे चंद्र मिशन Chandrayaan-2 को जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया था और सितंबर 2019 में लैंडिंग साइट के बहुत करीब तकनीकी खराबी के कारण लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह मिशन 99.99 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो ने कहा कि Chandrayaan-3 बुधवार को 1804 बजे चंद्रमा पर उतरेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार सुबह लैंडिंग मॉड्यूल का दूसरी और अंतिम बार गति कम करने के लिए डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) ऑपरेशन किया।
बस 25 किमी दूर चांद
उन्होंने बताया कि स्तह उतरने पर रोवर को चंद्रमा पर यथास्थन प्रयोग करने के लिए लैंडिंग मॉड्यूल से बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने बताया है कि दूसरा डीबूस्टिंग अभियान रविवार सुबह 0200 बजे किया गया और लैंडिंग मॉड्यूल निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करेगा और 23 अगस्त को संचालित लैंडिंग शुरू होगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद Chandrayaan-3 अंतरिक्ष यान अब चंद्रमा से करीब 25 किलोमीटर दूर है। इसरो ने कहा, “मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 21, 2023
Here are the images of
Lunar far side area
captured by the
Lander Hazard Detection and Avoidance Camera (LHDAC).
This camera that assists in locating a safe landing area — without boulders or deep trenches — during the descent is developed by ISRO… pic.twitter.com/rwWhrNFhHB
ISRO ने सोमवार को चंद्रयान-3 द्वारा चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने से पहले चंद्रमा के इसके सुदूर हिस्से की तस्वीरें जारी कीं। इसरो ने कहा कि ये तस्वीरें लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) द्वारा ली गई हैं। इसरो ने एलएचडीएसी द्वारा ली गई सभी चार तस्वीरों को जारी किया है। यह कैमरा, लैंडिंग के दौरान पत्थरों या गहरी खाई के बिना एक सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में सहायता करता है, इसरो ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), बेंगलुरु में विकसित किया है।