हिमाचल प्रदेश के ऊना स्थित चिंतपूर्णी मंदिर में पांच लोगों का समूह 1,100 रुपये का भुगतान कर वीआईपी दर्शन कर सकता है। राज्य का यह पहला मंदिर है जिसमें इस तरह की सुविधा की व्यवस्था की गई है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इस सुविधा का लाभ लेने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन की अपनी बारी के लिए कतार में खड़े होने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, प्रशासन द्वारा तय वीआईपी, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांगों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
सुगम दर्शन प्रणाली के तहत पांच लोगों के समूह को 1,100 रुपये में एक पास जारी किया जाएगा और श्रद्धालुओं को निर्बाध दर्शन करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक दिन में कुल 500 लोगों को ये पास जारी किए जाएंगे। चिंतापूर्णी मंदिर राज्य का पहला मंदिर है जिसमें इस तरह की व्यवस्था लागू की गई है ताकि दर्शन के लिए वीआईपी के आने पर अफरातफरी की स्थिति न हो और साथ ही मंदिर प्रशासन की आय में भी वृद्धि हो। मंदिर आयुक्त सह एसडीएम विवेक महाजन ने कहा कि इसकी चार श्रेणियां होंगी। उन्होंने बताया कि पहली श्रेणी में 1,100 रुपये का शुल्क लगेगा और बिना इंतजार दर्शन की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट तय करेगा कि इस श्रेणी में बच्चों को शामिल किया जाए या नहीं। महाजन ने बताया कि दूसरी और तीसरी श्रेणी में 65 साल से अधिक उम्र के श्रद्धालुओं तथा दिव्यांगों को वीआईपी दर्शन बिना शुल्क कराए जाएंगे और उनके साथ आए श्रद्धालु को इसके लिए केवल 50 रुपये का शुल्क देना होगा। उन्होंने बताया कि चौथी श्रेणी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों और प्रशासन द्वारा तय वीआईपी की होगी जिनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और इस श्रेणी के श्रद्धालुओं के लिए बाबा मैदास सदन में प्रतीक्षा कक्ष बनाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं के बैठने के लिए मंदिर से करीब एक किलोमीटर दूर व्यवस्था की गई है और उन्हें मंदिर न्यास द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक वाहन से मंदिर तक लाया जाएगा और दर्शन के बाद वापस छोड़ा जाएगा। मंदिर परिसर में हवन के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा पहले से ही उपलब्ध है। इस बीच, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बुधवार को बयान जारी कर इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ठाकुर ने कहा कि ‘मां के दर्शन’ के लिए शुल्क रखना गलत है और सरकार को इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।